Sunday 24 December 2017

अगर ना बनती ये सड़क

अगर ना बनती ये सड़क तो
बारिसों में खरंजों से रिसते कांच से पानी में लात मार उसे मैला करते दिख जाते कुछ बच्चे
अगर ना बनती ये सड़क तो
बड़ के पेड़ से तोतों के बच्चे निकाल खेल रहे होते कुछ और दूसरे बच्चे
अगर ना बनती ये सड़क तो
मेड़ों से गुजरते हुए उनमें हुए छेद भी ठीक कर रहे होते कुछ बुज़ुर्ग
अगर ना बनती ये सड़क तो
ताल की पाल पे यूँ ही सूख नहीं जाते नीम के सैंकड़ों पौधे
अगर ना बनती ये सड़क तो
उस कुएं के घाटों पर बने रस्सियों के निशान थोड़े और गहरे हो गए होते
गहरे हो गए होते पूरब में बसे उन दलित बस्तियों से कुछ रिश्ते
अगर ना बनती ये सड़क तो....
बहुत कुछ था जो टूटने/ छूटने से बच जाता...

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