वो 2016 के जुलाई महीने का कोई मनहूस दिन था. घरों में झाडू-पोंछा करने वाली सुनीता (बदला हुआ नाम) की 13 साल की बेटी रोशनी (बदला हुआ नाम) जयपुर के आदर्श नगर में अपने किराये के मकान में अकेली थी. दोपहर करीब 12 बजे रोशनी के कमरे की कुंडी बजी. दरवाजा खोला तो एक लड़का जबरदस्ती घर में घुस गया. उसने पहले रोशनी के साथ मारपीट की और फिर बलात्कार किया. जान से मारने और छोटी बहन से भी बलात्कार करने की धमकी देकर वह चला गया.
आरोपी का नाम शौफीक उर्फ चूचू था जो रोशनी के सामने वाले कमरे में ही किराये पर अपने परिवार के साथ रहता था. रोशनी खुद के साथ हुए इस हादसे के बाद बेहद डर गई और उसने दुष्कर्म की बात अपनी मां सहित पूरे परिवार से छुपा ली.
रोशनी की मां सुनीता को दुष्कर्म का पता कई महीने बाद तक नहीं लग सका. इन महीनों के दौरान 5वीं कक्षा में पढ़ रही रोशनी के किशोर मन और उसके दिमाग में चल रही उथल-पुथल का ना तो कोई अंदाजा लगा सका और ना ही उसे समझने का कोई पैमाना हमारे समाज और सिस्टम ने बनाया है. रोशनी की ज़िंदगी में अचानक हुए इस ख़ौफनाक हादसे ने उसके किशोर मन में पल रहे सपने, इच्छाओं को रौंद कर रख दिया.
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रोशनी
रोशनी की मां सुनीता बताती हैं, “आरोपी के डराने और शर्मिंदगी की वजह से रोशनी ने मुझे कुछ भी नहीं बताया.”
सुनीता आगे बताती हैं, “कम पढ़ी-लिखी होने के बावजूद मैं समझती हूं कि इस उम्र (किशोर) में बच्चों के शरीर और उनके स्वभाव में कुछ बदलाव आते हैं, लेकिन रोशनी के शरीर में आ रहे बदलाव कुछ अलग तरह के थे. वह कई बार बात करते-करते रोने लगती या छत को एकटक देखने लगती.”
सुनीता बताती है, “एक दिन रोशनी के आटा गूंथते वक्त उसके बैठने के तरीके ने मुझे डरा दिया. तुरंत उसे डॉक्टर के पास लेकर गई. डॉक्टर ने जो कहा उसने हमारी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी. रोशनी 6 माह से गर्भवती थी, लेकिन शारीरिक रूप से देखने पर ये नहीं लग रहा था कि उसके गर्भ में बच्चा पल रहा है.”
इसके बाद रोशनी ने अपने साथ जुलाई में हुई वारदात के बारे में पहली बार खुल कर बताया. इस अपराध की 23 जुलाई, 2016 को जयपुर के आदर्श नगर थाने में एफआईआर दर्ज हुई. पुलिस ने नाबालिग आरोपी चूचू को पकड़ा और जरूरी कार्रवाई कर बाल सुधार गृह में भेज दिया.
दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुई रोशनी ने 2017 के अप्रैल महीने में ऑपरेशन द्वारा एक बच्ची को जन्म दिया. 13 साल की एक बच्ची अब ‘मां’ बन चुकी है.
रोशनी राजस्थान में यौन हिंसा का शिकार हुई अकेली बच्ची नहीं है. प्रदेश में सैंकड़ों बच्चियों के साथ हर साल यौन शोषण की घटनाएं हो रही हैं. आंकड़े बताते हैं कि बीते पांच साल में प्रदेश में पॉक्सो एक्ट के तहत 11,828 मामले दर्ज हुए हैं. ये आंकड़े सिर्फ 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ हुए यौन हिंसा की कहानी बयां कर रहे हैं, लेकिन यह बताना मुश्किल है कि इस तरह की हिंसा के बाद शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझ रही लड़कियों की संख्या कितनी है और इन दिक्कतों से ये किशोरियां किस तरह से सामना कर रही हैं?
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अपनी मां सुनीता के साथ रोशनी
कम उम्र में शादी होने के कारण किशोर अवस्था में ही लाखों बच्चियों के साथ मेरिटल रेप जैसी घटनाएं भी आम हैं. ये घटनाएं देश के किसी भी थाने में दर्ज नहीं होतीं हैं. समाज के सबसे कमजोर वर्ग से आने के कारण इन किशोरियों तक स्वास्थ्य की सभी सुविधाएं भी नहीं पहुंचती हैं. कम उम्र में शादी करने के मामले में राजस्थान के भीलवाड़ा (57.2%), चित्तौड़गढ़ ( 53.6%), करौली (49.8%), जैसलमेर( 48.4%), टोंक (47.3%) , बाड़मेर (46.7%), अलवर (40.8%), दौसा (40.1%), टॉप पर हैं.
सितंबर 2014 में दिल्ली की एक अदालत ने बाल विवाह को दुष्कर्म से भी बदतर करार दिया था. बाल विवाह के खिलाफ काम करने वाले ज्यादातर लोगों का भी मानना है कि बाल विवाह के बाद हर रोज लाखों किशोरियों के साथ दुष्कर्म होता है और इसे सामाजिक मान्यता भी मिलती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी 2017 में नाबालिग पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाने को रेप बताया है.
रोशनी की तरह माधुरी, नेहा, सीमा (सभी बदला हुआ नाम) जैसी अनेकों बच्चियां हैं जिन्हें बचपन में ही बलात्कार जैसे घिनौने अपराध की पीड़ा से गुजरना पड़ा है.
रोशनी सहित इन तमाम लड़कियों को किशोरावस्था में ही अनेक तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियां उठानी पड़ रही हैं. ये बच्चियां जैसे-जैसे बड़ी होगी इस तरह की परेशानियां और भी बढ़ती जाएंगी.
मेडिकल की भाषा में इन परेशानियों को रीप्रोडक्टिव हेल्थ प्रॉब्लम्स कहा जाता है. इसमें अनचाहा गर्भ, असुरक्षित गर्भपात, यौन रोग, एचआईवी सहित यौन संचारित संक्रमण और ट्रॉमेटिक फिस्टूला जैसी समस्याएं आम हैं.
पीड़ित बच्चियों में रीप्रोडक्टिव स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा मेंटल हेल्थ, व्यवहार में परिवर्तन होते हैं. दुखद ये है कि राजस्थान में परंपराओं और सामाजिक कुप्रथाओं के चलते किशोरियों की इन समस्याओं पर ना तो ज्यादा काम हो रहा है और ना ही सार्वजनिक चर्चाओं में इन बातों को कहीं जगह मिल रही है.
रोशनी ने अनचाहे गर्भ की समस्या झेली है और वो अभी 3 साल की बच्ची की मां है. उसके पीरियड्स भी अनियमित हैं. अनचाहे गर्भ के अलावा रोशनी की मानसिक स्थिति आज भी वैसी नहीं है जैसी उसकी उम्र की अन्य लड़कियों की है. उसका शारीरिक विकास भी ठीक से नहीं हुआ है.
इसी तरह जयपुर में रह रही 12 साल की माधुरी भी अपने सौतेले पिता के द्वारा 2017 में दुष्कर्म का शिकार हुई थी. दुष्कर्म के चलते उसे गर्भ ठहरा लेकिन कोर्ट की अनुमति के बाद गर्भपात करा दिया गया. महज 10 साल की उम्र में गर्भपात की वजह से माधुरी काफी कमजोर और अंडरवेट है. उसे पूरे बदन में अचानक दर्द उठता है. बुखार माधुरी के लिए एक आम बीमारी हो चुकी है. 2017 से माधुरी का स्कूल भी छूट गया और उसके मन का खुद के साथ तारतम्य भी. माधुरी डर के कारण अब घर से बाहर नहीं निकलती. उसे भी लगभग वही सब समस्याएं हैं जो रोशनी को हैं. माधुरी को सामान्य जीवन में लाने के लिए 250 रुपए रोजाना की बेलदारी करने वाली उसकी मां ने पिछली दिवाली को किसी कबाड़ी से एक टीवी खरीदा. उसमें डीटीएच कनेक्शन भी लगवाया है, लेकिन मां मीना (बदला हुआ नाम) का कहना है, “जब भी मैं मजदूरी से शाम को घर लौटती हूं, मेरी बच्ची मुझे खुद में सिमटी बैठी हुई मिलती है. वो हंसना भूल गई है और रोना भी. उदासी और उम्र से ज्यादा समझदारी ने उसे घेर लिया है.”
मेंटल हेल्थ के संदर्भ में देखा जाए तो माधुरी खुद को और अपनी मां को इस हादसे का जिम्मेदार मानती है. बकौल माधुरी, “अगर पापा की मौत के बाद मां दूसरी शादी नहीं करती तो मेरे साथ गंदा काम नहीं होता. वह अपने अतीत के बारे में ही सोचती रहती है.”
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