Saturday 25 February 2017

वो लड़का सरकार की बजाय मुझसे नौकरी मांग रहा था...

भैया! एक्सक्यूज मी भैया। यस! आप यहीं काम करते हैं? लगभग ना सुनाई देने वाली आवाज में उसने मुझसे पूछा। हां, आप कौन हैं? नहीं आप यहीं काम करते हैं क्या? जी बताइए क्या काम है? कहते हुए इस बार मैंने उसे गौर से देखाथका हुआ चेहरा, पीठ पर टंगा बड़ा सा खाली बैग और एक अदद नौकरी की तलाश में भागता हुआ वो लड़का, मैं देख ही रहा था कि फिर से उसने पूछ लिया, आप यहीं काम करते हैं ना? हां भाई आप बताइए क्या काम है? मुझे नौकरी चाहिए, कहकर अपना स्क्रीन पर रबर बैंड लगा मोबाइल निकाल कर मेरा नंबर मांगने लगा। लेकिन मेरा नंबर लेने से क्या होगा? आप अंदर जाकर एचआर में मिल लीजिए मैंने कहा। नहीं मैं अभी गया लेकिन कहा कि सोमवार को आना। आप अपने नंबर दे दीजिए सोमवार को आपके रेफरेंस से मिल लूंगा। वो इतना धीमे बोल रहा था कि मैं 5 फीट की दूरी से भी ठीक से नहीं सुन पा रहा था, शायद हताशा उसके गले में अटक गई इसीलिए आवाज निकलने की जगह कम हो गई थी। वो लगातार मेरे नंबर लेने पर अड़ा था लेकिन मैं उसकी कोई मदद नहीं कर सकता था। लाचार से चेहरे से वो बार-बार मेरी ओर देख रहा था और हैरत भरी नजरों से मैं उसे।

अच्छा! इससे पहले कहीं काम किया है क्या आपने? मैंने उससे पूछा। हां किया है मार्केटिंग में एक जगह। वहां से कॉस्ट कटिंग के नाम पर निकाल दिया और अब बहुत परेशान हूं। उसने मुझे अपने नंबर दिए और कहा, अगर कुछ हो तो प्लीज बताना। मेरे पास सिवाय तसल्ली देने के और कुछ था भी नहीं, मिल जाएगी। शायद और संघर्ष लिखा है करिए। भाई मैं 9 साल से संघर्ष ही कर रहा हूं। रोज बस से यहां से वहां भागते हुए परेशान हो गया हूं। आप प्लीज कुछ हो तो बताइगा। ये कहकर प्रदीप (बदला हुआ नाम) चला गया। 
 
उसके जाने के बाद यूपी और बाकी राज्यों में हो रहे चुनावों के बयान याद आ गए। गधा, श्मशान-कब्रिस्तान, पाकिस्तान और न जाने क्या-क्या? लेकिन इन चुनावों में क्या आपने ऐसा सुना कि हम इतने जॉब देंगे, पांचों राज्यों के युवाओं के लिए क्या किसी भी पार्टी ने अपना विजन आपके साथ शेयर किया? राजनैतिक दलों से अब शायद ये सवाल पूछना और उनका इन बातों पर जवाब देना बेमानी सा है लेकिन एक सवाल आप मतदाताओं से भी है, जब आप वोट देने बूथ तक पहुंचते हैं तो क्या आपके लिए भी नौकरी, शिक्षा, इलाज जैसे सवाल कोई महत्व नहीं रखते क्या? पोलिंग बूथ पर कोई बटन दबाने से पहले क्या आप नहीं सोचते कि आपके समाज में नौकरी, सस्ते इलाज के नाम पर जड़ता क्यों आई है, कोई एक परिवार कैसे 5 साल में अरबपति हो गया और क्यों दूसरा आज भी झप्पर में रह रहा है। अगर आपको लगता है कि इन बातों का राजनीति से क्या ताल्लुक तो आप बूथ से फिर वापस लौट आइए। वो लड़का सरकार से नौकरी मांगने की बजाय मुझसे नौकरी क्यों मांग रहा है? भले ही वो मदद के हिसाब से मुझसे कह रहा था लेकिन नौकरी देने का मंच तो इस देश की सरकारों को ही उपलब्ध करवाना है ना। प्रदीप नाम का वो लड़का कैसे रात में सो पाता होगा और कैसे उसके घर वाले इन हालातों में अपना गुजारा कर रहे होंगे। इसका अंदाजा शायद मुझे नहीं है लेकिन इतना याद रखिए भले ही आप बूथ तक जाकर वोटिंग परसेंटेज बढ़ा रहे हैं लेकिन जिस काम के लिए आप वोट कर रहे हैं वो शायद आप नहीं कर पा रहे हैं और जिनकी ये जिम्मेदारी है उन्होंने आपको उलझाने का मंत्र अच्छे से सीख लिया है। इसीलिए आपके बेटे-बेटी को नौकरी क्यों नहीं मिल रही, ये सवाल गधा-घोड़ा, श्मशान-कब्रिस्तान की बातों में उलझाने वालों से पूछिए ताकि आपके किसी अपने को कभी किसी ऑफिस के आगे किसी से नौकरी ना मांगने जाना पड़े।