Thursday 7 March 2019

औरतें जो मर गईं...

कुछ औरतें थीं जो अमर हुई
और कुछ थीं जो मर गईं इन अमर आत्माओं के साथ
बहुत लिखा गया कुछ औरतों पर
मगर कुछ के लिए एक शब्द भी नहीं
मगर जिन्हें नसीब नहीं हुआ शब्दों का प्यार वही ज़्यादा क़ाबिल हैं शायद
लिखे गए मीरा बाई के लिए असंख्य शब्द लेकिन उनका क्या जो सखी रहती थीं मीरा के साथ?
ललिता के सिवा क्या हम जानते हैं राधा की किसी सहेली के बारे में?
क्या हम में से कोई जानता है रानी लक्ष्मी बाई की किसी साथी के बारे में?
या इस बारे में भी कि आज़ादी की लड़ाई में कितनी महिलाओं ने बेच दिए थे अपने कंगन और टीके?
कभी भी, कहीं भी नहीं लिखा गया खान में पत्थर तोड़ती किसी महिला पर
ना ही लिखा गया उस महिला पर जिसके सर में एक फफोला पड़ गया कुएं से पानी भरते हुए
कभी किसी ने नहीं लिखी कोई कविता हमारी टट्टी सिर पे उठाने वाली महिला के लिए
ना ही कोई देख सका उस औरत का प्यार जो दीयों के साथ बना कर लाती थी एक गुल्लक
कौन लिखेगा उस काकी पर जिसके झाड़े से हुए सैंकड़ों 'बांझों' को बेटे
और वो दाई जिसकी मालिश से बड़े हुए दुनिया के कई 'बड़े' मर्द
बिना किसी इतिहास के यूं ही मर गईं बहुत सी औरतें
मर गई लाखों महिलाएं खेतों की मेड़ पक्की करते हुएऔर कितनी ही दफ़ना दी गई उन्हीं मेड़ों में बलात्कार कर के
कितनी औरतें मरी घरों की चारदीवारी में घुट-घुट कर, कोई नहीं जानता
कितनी औरतों को मारा उनके पिता ने और कितनों  को मारा गया कोख में किसी औरत के द्वारा ही
नहीं लिखा गया इनके बारे में भी कभी कोई निबंध या कोई कविता
असल में जो जिंदा रहा वही लिखा गया
जो दिखाया गया वही देखा गया
हरे रंग के पीछे नहीं दिखाया गया कपास का उगना और उसका टूटना
बहुत कुछ था जो औरतों पर लिखने से छूट गया
बहुत कुछ है जो औरतों पर लिखने से छूट रहा है...
क्यूं कि कुछ औरतें थीं जो अमर हुई
और कुछ थीं जो मर गईं इन अमर आत्माओं के साथ...
Madhav