बहुत दूर से खुद को यहां तक खींच लाया हूं बहुत आगे के सफ़र तक जाने के लिए। जहां से निकले हैं और जहां तक अभी पहुंचे हैं वो एक असंभव सी यात्रा है। बीच-बीच में कई अच्छे पड़ाव मिले हैं जिनमें IIMC एक है बाकी जिंदगी के तजुर्बे बहुत कुछ सिखा ही रहे हैं। मेरी बाख़र एक कोशिश है उन पलों को समेटने की जो काफी कुछ हमें दे जाते हैं लेकिन हमारी जी जा चुकी जिंदगी में कभी शामिल नहीं हो पाते। बाकी सीखने, पढ़ने-लिखने का काम जारी है और चाहता हूं कि ये कभी खत्म न होने वाला सफ़र भी सभी से मोहब्बत के साथ चलता रहे।
Friday 5 February 2021
किशोर उम्र में हुए यौन शोषण के दुष्परिणाम ताउम्र भुगतती हैं महिलाएं
वो 2016 के जुलाई महीने का कोई मनहूस दिन था. घरों में झाडू-पोंछा करने वाली सुनीता (बदला हुआ नाम) की 13 साल की बेटी रोशनी (बदला हुआ नाम) जयपुर के आदर्श नगर में अपने किराये के मकान में अकेली थी. दोपहर करीब 12 बजे रोशनी के कमरे की कुंडी बजी. दरवाजा खोला तो एक लड़का जबरदस्ती घर में घुस गया. उसने पहले रोशनी के साथ मारपीट की और फिर बलात्कार किया. जान से मारने और छोटी बहन से भी बलात्कार करने की धमकी देकर वह चला गया.
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