‘कोहली क्या अकेला घं... कर लेता यार! और धोनी अपनी पूरी पारी ढंग से खेलकर
गया। 65 में 65, एक भी बॉल खराब नहीं की। रोहित तो खेला ही नहीं, रैना भी नहीं
खेला मतलब कोई भी नहीं खेला जैसा सब खेलते हैं। भैन...द जब वर्ल्डकप शुरू हो रहा
था तब तो सारी तोपें कह रही थी टीम बड़ी कच्ची है, ज्यादा आगे नहीं पहुंच पाएगी।
अब सेमीफाइनल से लौट रही है तो बम्बू हो रहा है। और ‘बेचारी’ अनुष्का की वैसे ही ले ली यार! यार कुछ भी है
हमारा देश है तो चू...यों का देश’।
रात के 11.30 बजे घर के पास बने खूबसूरत से रोज गार्डन में टहलते हुए
4-5 लड़कों की बातचीत है ये। जैसे बातें कर रहे थे, लगा इंजीनियरिंग के स्टूडेंट
हैं। बातचीत के तरीकों से साफ लग रहा था ये इंटरनेट पर ही रहते होंगे और टीवी कम
ही देखते होंगे। देखते भी होंगे तो मैं यकीन से कह रहा हूं न्यूज़ चैनल नहीं देखते
होंगे। वो समाचारों के लिए शाम को अखबारों की वेबसाइट्स देखते हैं, ऐसा एक ने
बताया। टीवी नहीं देखते तभी उनकी बातों में ईमानदारी और अनुष्का के लिए हमदर्दी
थी।
मतलब मैं ये राय बना रहा हूं कि जोक उन्होंने ही बनाए जो टीवी देखते
हैं। क्योंकि मज़ाक मैंने उन्हीं को बनाते हुए ज्यादा देखा जो सोशल और मेनस्ट्रीम
मीडिया में हैं या दिलचस्पी रखते हैं। मेरी मां ने भी शाम को फोन पर मुझे अनुष्का-विराट
पर बना एक चुटकुला सुनाया, जबकि वो इंटरनेट नहीं चलातीं, घर में रेडियो भी नहीं है
सिर्फ टीवी है और ज्यादातर समय अकेली रहती हैं।
मतलब चैनल (न्यूज़ वेबसाइट्स भी) जनमानस
में राय बनाता है और किसी चीज को इतना बढ़ा-चढ़ा कर दिखाता है कि सभी को उसी
नज़रिए से दिखने लगता है। इसमें मीडिया में काम करने वाले भी सब कुछ जानते हुए
शामिल हो जाते हैं। साथ ही (न्यूज़ चैनल और अखबारों) की वेबसाइट्स खासकर हिंदी की साइट्स
इलेक्ट्रोनिक मीडिया के 2005 वाले दौर में हैं। खबर और साइट दोनों को चलाने के लिए
(जिसे हम बेचना भी कहते हैं) जहां सांप-बिच्छु वाली खबरों की तरह अनुष्का और विराट
को बेचा गया। मैच हारने की स्थिति में पहुंचे तो उन खबरों की प्राइआरिटी घटा-बढ़ा दी
जो सुबह भारत की जीत की भविष्यवाणियां कर रही थीं, ताकि वो साइट में अंदर दब जाएं।
अब रही बात अनुष्का शर्मा को लेकर बनी मज़ाक की तो इसमें मुझे कोई
आश्चर्य नहीं क्योंकि जब ऑफिस से घर लौट रहा था तब शेखावाटी के दो लड़के एक लड़की
पर कमेंट कर रहे थे। लड़की की ख़ता ये थी कि वो वाट्सएप पर किसी से चैट कर रही थी,
इसी दौरान उसका स्टैंड आ गया और वो हड़बड़ी में ही पीछे के दरवाजे से उतरने लगी। कंडक्टर
ने मना कर दिया तो उसे अगले स्टैंड तक इंतजार करना पड़ा। इतनी देर में चैटिंग को
लेकर दोनों ने जो कमेंट किए, लिख नहीं सकता। मैंने इतना ही कहा कि यार आप इसके वाट्सएप
पर चैटिंग को ही देख रहे थे क्या? मुझे मारने पर उतारू हो गए, वो दो थे और मैं दुबला
सा अकेला बाकी सब हंसने वाले। इसलिए चुप हो गया। इसलिए देश में लाखों-करोड़ों
अनुष्काएं हैं, जिनका कोई विराट नहीं। हां, उस मज़ाक में कुछ देर के लिए मैं भी
शामिल हुआ था, भले ही कुछ लिखा ना हो पर लिखे हुए को एक-दो जगह शेयर किया था वाट्सएप
पर इसलिए अनुष्का से माफी मांगता हूं।
good..
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