कल यह खबर पढ़कर
हैरान रह गया। एक बारगी विश्वास ही नहीं हुआ कि खुद को पढ़ा-लिखा और सबसे आगे बताने
वाले इस समाज के कुछ लोग मानसिक रूप से इतना पिछड़े भी हो सकते हैं। खुद को ज्यादा कनेक्ट
इसीलिए कर पा रहा था क्योंकि यह खबर मेरे गृह जिले धौलपुर से है।
हालांकि इसमें पूरे
समाज की मर्जी शामिल नहीं है लेकिन उन लोगों के मुताबिक फैसला जिलेभर से पूरे समाज
के लोगों ने लिया है। हुआ यह है कि अब धौलपुर जिले में अग्रवाल समाज की महिलाएं बारातों
में होने वाली निकासी में नहीं नाचेंगी। ये फरमान समाज के लोगों ने मीटिंग कर लिया
है।
समाज की बनी हुई समिति ने पूरे जिले
से पदाधिकारी बुलाए, करीब 60 लोग आए इनमें सिर्फ 4 महिलाएं थीं और एकमत से पारित कर
दिया कि निकासी में अग्रवाल समाज की महिलाएं डांस नहीं करेंगी। ताज्जुब है कि महज 60
लोगों ने एक जगह बैठकर पूरे जिले की महिलाओं के बारे में खाप पंचायतों जैसा फैसला ले
लिया। मेरी याद में तो खाप ने भी कभी महिलाओं के नाचने पर पाबंदी नहीं लगाई। आप लिखते
हैं कि बैठक में समाज सुधार, कुरीति-कुप्रथा मिटाने जैसे कई निर्णय लिए गए। लेकिन इस
फैसले से आपने कौनसा समाज सुधार या कुरीति मिटाई? बल्कि एक बुराई की शुरुआत ही की है।
हो सकता है कि आपमें
से बहुत लोग यह कह कर मुझे गरिया दें कि ये किसी समाज का अपना मसला है लेकिन बुरी शुरुआतें
कहीं से भी शुरू हो सकती हैं और धीरे-धीरे वो समाज के उस तबके को अपनी जद में ले लेती
हैं जो चाहकर भी इन बुराइयों से फिर दूर नहीं हो पाता। दहेज इसका जीता-जागता सबूत है।
पैसे वालों ने इसे शुरू किया और आज गरीब अादमी अमीरों के शुरू किए इस फैशन का शिकार
है। वो लड़की की शादी के लिए घर से लेकर खेत तक को कर्ज में डूबो देता है।
अपने फैसले में
आपने कहा, निकासी के वक्त असमाजिक तत्वों से समाज की महिलाओं को खतरा रहता है। ठीक
है लेकिन इसमें महिलाओं की क्या गलती है, ये दिक्कत तो उन लोगों की है ना जो गलत हरकतें
करने की मानसिकता वाले हैं।
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लिखा गया है कि इस फैसले का कड़ाई से पालन किया जाएगा और निगरानी
भी रखी जाएगी। अगर फैसले को कोई नहीं मानता तो क्या आप उस पर कोई जुर्माना लगाएंगे या उसे समाज
से बाहर कर देंगे?
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आप ऐसे तुगलकी फरमान देकर क्या महिलाओं के लिए एक सीमा तैयार
नहीं कर रहे, महिलाएं वही करें जो आप कहें। क्या धौलपुर जिले की महिलाओं ने खुद के
सारे फैसले आप पर छोड़ दिए हैं या वो कहां नाचें और कहां नहीं ये तय करने के लिए उन्होंने
आपको चुना है?
अंत में एक बात
आप महिलाओं से कहना जरूर चाहंूगा, क्या ये फैसला आप ऐसे इंसानों पर छोड़ना पसंद करेंगी
जिन्हें आप जानती भी नहीं और वो आपसे कहंे कि आप यहां नाचिए और यहां नहीं। क्या आप
चाहेंगी कि आज जिन लोगों ने आपको डांस करने से मना कर दिया वही लोग कल आकर यह भी कह दें
कि शादी में आपको ऐसे कपड़े पहनने हैं, ऐसे नहीं? (ऐसा हो भी सकता है समाज सुधार के
नाम पर)। क्या आप इन लोगों से यह पूछना नहीं चाहेंगी कि उन मर्दों का क्या जो आपके
ही आगे इन्हीं बारातों में शराब पीकर आपस में अश्लील डांस करते हैं? या आप इसे महज
अपने समाज का अंदरूनी मामला मानकर चुपचाप रहेंगी?
bhai rajasthan k karan poore agrawal ko kyu badnam karte hai
ReplyDeletementality of 60 people can't generalise for all.
Dost main kahan sabke liye likha hai, saaf likha hai dholpur ke liye
ReplyDeleteहमारे समाज की महिलाए रोङ पे नाचे हमें आपत्ति है आपको अगर नाच देखना है तो अपने घर की औरतों को ले आइये हमारे घर की शादी में नचाने के लिए और आप भी हमारे साथ साथ आनंद लिजीये और कुछ चार्ज चाहिये तो वो भी ले लिजीये
ReplyDeleteबिनोद जी वैसे आपको जवाब देना नहीं चाहिए पर फिर भी क्या जब आपके समाज की महिलाएं नाचती हैं तब भी आप उनके नाचने का चार्ज लेते हैं? दूसरी बात, मैं जिस स्तर की बात कर रहा हूं वहां तक आने में अभी आपको बहुत वक्त लगेगा चाहे आपकी जो भी उम्र रही हो अभी। तीसरी बात, महिलाओं कहां नाचेंगी और कहां नहीं ये तय करने वाले आप कौन हैं चाहे वो औरत आपके घर से ही क्यों न हो
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