Monday 20 June 2016

12 साल का बच्चा आत्महत्या क्यों करना चाहता है?

गोलमटोल से चेहरे का वो बच्चा बेहद मासूम और खुरापाती है। गोलाई में कटे हुए बाल, नाक के ठीक नीचे छोटा सा तिल और हर बात पर मटकती उसकी आंखें दिखा रही थीं कि भले ही वह 12 साल का है लेकिन हरकतें 7 साल के बच्चे सी हैं। कुछ समझ में आए या ना आए हर बात में बोलने से लग रहा था कि ये वाचाल बच्चा बाकियों से कुछ तो अलग है। फोन में गाना बजा और वो ठुमकने लगा। तभी दरवाजा खुला, कैफरी पहने एक लड़के ने आंखे दिखाते हुए बिना कुछ देखे-सोचे बच्चे के सिर में जोर से थप्पड़ मारते हुए कहा, सारे दिन चिल्लाता क्यों रहता है, पढ़ाई-लिखाई का कोई काम नहीं है क्या? वो उसका बड़ा भाई था। बच्चा मुंह लटकाए डबडबाई आंखें लिए चुपचाप टेबल पर ही बैठ गया। लड़का शर्ट पहनकर कहीं चला गया। अब कमरे में हम दोनों ही रह गए थे। उसके जाते ही वह फिर से उसी तरह ठुमकने लगा। 

मैंने पूछा, डांस करना पसंद है क्या? नहीं। तो क्या पसंद है? उसने कहा, पढ़ना। पढ़ाई तो सब करते ही हैं, पढ़ने के अलावा क्या करना अच्छा लगता है? उसने थोड़ी झिझक खोली और बोला, क्रिकेट। तो खेलता क्यों नहीं? हाथों से ही क्रिकेट खेलते हुए उसने जो जवाब दिया उस जवाब का कोई मनोवैज्ञानिक विश्लेषण तो होना ही चाहिए। 

वह बोला, पापा के सपने को पूरा करने के बाद अपने सपने पूरा करूंगा। पापा का सपना क्या है? मैंने पूछा। वो मुझे आईएएस बनाना चाहते हैं, उसने कहा। मैंने फिर पूछा, आईएएस बनने में तो काफी उम्र निकल जाएगी तेरी, फिर क्रिकेट कब खेलेगा? तभी जब आईएएस बन जाऊंगा, भले ही 35 साल का हो जाऊं। बनने के बाद ही खुद की पसंद के काम करूंगा। अगर आईएएस न बन सका और उम्र भी निकल गई तो क्रिकेट में भी करियर बनाने से रह जाएगा तू, तब क्या करेगा?

इस बात के उसके जवाब ने मेरे रोंगटे खड़े कर दिए। मेरी डरी हुई आंखें उसकी मटकती हुई आंखों में देख रही थीं कि उसे अपने इस जवाब पर इस कदर विश्वास था और अगर ऐसा हुआ तो वो ऐसा कर भी लेगा। उसने अपने घुटने को तबला बनाकर उसपर उंगलियों को खिरकाते हुए बहुत ही आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया, तब मैं सुसाइड कर लूंगा। मरने के अलावा मेरे पास कोई और ऑप्शन भी नहीं होगा तब। अगर आईएएस नहीं बना तो पापा को क्या जवाब दूंगा और बन गया तो मुझे लगेगा कि मैंने अपने पापा के लिए कुछ किया है। 

जवाब सुनकर मैं स्तब्ध था। इतना ही याद आया और उसे सुना दिया कि ‘आत्महत्या एक टेम्पररी प्रॉब्लम का परमानेंट सॉल्यूशन है’। उसने हां में सिर हिलाया पर ऐसा बिलकुल नहीं कहा कि मैं ऐसा नहीं करूंगा। मैं यही सोच रहा था 12 साल के बच्चे में आत्महत्या करने की बात कैसे घर कर गई? ये सपना उसपर 6 साल की उम्र से ही थोप दिया गया था और इसे साकार करने के लिए कोटा भी भेज दिया गया। 

अब छुट्‌टियां चल रही हैं वो स्कूल भी नहीं जा रहा लेकिन वह जयपुर में अपने उस भाई के साथ रह रहा है, बिना किसी काम के, एक ऐसे मकसद को लिए जो पता नहीं शायद सच भी न हो। मैं चाहता हूं सच हो जाए। उसे उसकी बना दी गई मानसिकता से िनकालने की मेरी कोशिश नाकाम रही कि अभी वो िसर्फ 12 साल का है। स्कूल में पढ़ रहा है। कुछ बनने का ख्वाब 10-12वीं क्लास के साथ या बाद आते हैं पर वो शायद यह बात मानने को तैयार नहीं। 6 साल की उम्र से वो आईएएस बनने का सपना ढो रहा है और शायद ढोता रहेगा। मां-बाप ने उसकी शैतानियों से परेशान होकर यहां भेज दिया लेकिन उससे बात करके मुझे लगा कि वो यहां घुट रहा है अंदर ही अंदर मर रहा है। कुछ सपने जो इसके नहीं हैं उनके लिए परेशान हो रहा है। जिम्मेदार कौन है इसके लिए????

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