Saturday 9 July 2016

एक प्रवासी के लिए बरसात

रात के तीसरे पहर से लगातार बारिश हो रही है। सन्नाटे की इस रात में मेंढ़कों की टर्र-टर्र के अलावा पहाड़ियों से गिरते झरनों की सुंदर सी आवाज आ रही है। जैसे ही आवाज कम होती है पहाड़ी के पीछे से तेज गड़गड़ाहट से बिजली चमकती है। बिजली के चमकते ही मोर गाने लगते हैं। एक कोने से शुरू हुई गाने की आवाज भोर होते-होते चारों कोनों से आने लगती है। चाकी पर घर की सास कुछ पीसते हुए गीत गा रही है। अब सुबह हो गई। सब कुछ धुला हुआ है। गाएं रंभाती हुई हर चौखट से रोटियां लेती जा रही हैं। गांव का हर कच्चा रास्ता पानी से लबालब है। चाय पीकर हल्के उजाले में ही औरत और मर्द खेतों की ओर निकल गए हैं। खेत में पहुंचते ही धानी बोने की तैयारी होने लगी है। महिलाएं अच्छी पैदावार होने के गीत गाती जा रही हैं और पहले से जुते हुए खेतों में धानी बोने में मदद कर रही हैं। सावन भी आने वाला है तो महीनेभर पहले ही बेटियां पीहर आ चुकी हैं।
खेत की मेड़ पर लगे आम के पेड़ में सावन की गीतों पर झूला भी झूम रहा है। दिनभर अपनी तरह की मेहनत कर शाम को सब घर लौट आए हैं। गाएं भी रंभाती हुई हर चौखट से रोटियां लेकर वापस जा रही हैं। मंदिर में घंटियां बजने लगी हैं। मंदिर के चबूतरे पर हुक्का लिए बुजुर्ग रसिया (लोक-गीत), पौराणिक कहानियों पर वाद-विवाद, फलाने की बारात, ढिकाने की बेटी के ब्याह की बात करने लगे हैं। किशोर उम्र के लड़के बार-बार अंदर चौके में जाकर हुक्के में तंबाकू भर लाते हैं और एकाध गुड़की खुद भी लगा लेते हैं। रात के 10 बज जाते हैं। सब सोने चले जाते हैं। अगले दिन फिर यही सब होता है।

बरसात में गांव स्वर्ग होते थे, अब नहीं होते। एक कोने से मोर गाते जरूर हैं लेकिन सुबह होते होते दूसरे कोनों से ट्रेक्टरों के गर्राने की आवाजें आने लगती हैं। अब न चाकी पर कोई गीत गाता है न महीनेभर पहले बेटियां पीहर आती हैं। आमों पर झूले भी कम डलते हैं। मंदिर के चौतरे पर 10 बजे तक बैठने वाले गुजर गए। न कोई रसिया गाता है और न ही कोई अब हुक्का पीता है। बारातों की तैयारी तो अब सिर्फ घर के लोग ही करते हैं। कच्चेे घर की पाटौर के नीचे वो दिन अब नहीं आएंगे ये कहते हुए बंगलौर से आए रमझू मामा ने मोजे उतारे और शीशम की लकड़ी से बनी खाट पर सो गया।

#एक_प्रवासी_की_बरसात

2 comments:

  1. सुंदर लिखा है माधव. :)

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    1. शुक्रिया भाई, एक गांव में कुछ लोगों की बातचीत का लव्बोलुआव है ये

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