Saturday 3 September 2016

#मानसून_डायरी (2)

1- मियां-बीवी दोनों गुलाब ही बेचते हैं। जो भी लड़का-लड़की खड़ी दिखे वो इनके लिए ग्राहक ही है। हर 10-15 मिनट बाद MacDonald की किसी सीढ़ी के बाहर बैठकर दोनों न जाने क्या बुदबुदा लेते हैं। थोड़ी देर बाद हाथों में महकती टोकरी और बजबजाती ज़िन्दगी लिए फिर चल देते हैं। एक-दो बार माल के मालिक की हैसियत से बेचते हैं फिर खुशबू लपेटे फटी हुई हथेलियों को फैलाकर खरीदने की जब गुहार लगाने लगते हैं। तभी आपके मुंह में घुल रही आइसक्रीम कई प्रश्नवाचक चिन्हों के साथ हलक में उतर जाती है। नज़रें मिलती हैं और फिर वो अगले ग्राहक की तलाश में निकल जाते हैं।

 

 2- एक टोकरी भर हर रंग के गुलाब रहते हैं उनके पास हर वक़्त। लाल, पीला, सफ़ेद और गुलाबी गुलाब। जो भी जवान सा दिखा उसी के पास दौड़ कर चले जाते हैं। मार्केटिंग की टारगेट ऑडियंस थ्योरी ज़िन्दगी से सीख ली है कि इन्होंने। बीवी के पास टोकरी रहती है और इसके पास एक गुलाब। जब ये एक भी नहीं बिकता तब वो लौट जाता है उसी MacDonald की सीढ़ीयों में बैठी अपनी बीवी के पास। अपने गुलाब को उसके हाथों में थमाता है और फिर वो उसे टोकरी में। लेकिन जिस वक़्त वो गुलाब उसके हाथों में थमा रहा होता है वही इसका रोज़ डे होता है। गरीब दिन में पचासों बार रोज डे मना रहा होता है।

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