Saturday 5 December 2015

कविता: सड़क



सड़क पे धुआं फेंकती गाड़ियां
पों-पूं धां-धूं, टी-टों

बगल में खड़ा नहीं हो सकता क्या?
कहते हुए पीक देना पिच्च

खड़े सिपाही की टोपी को देखकर
सिग्नल तोड़ते बड़ी-बड़ी गाड़ियों में बैठे ‘छोटे-छोटे’ लोग

फुटपाथ पे खड़ा पोहे वाला, चौराहे पर सेडान में बैठे सेठ और बिकने को खड़े प्रवासी
बस 250 ही तो ले रहा हूं साब, नहीं 200 दूंगा, ठीक साब चलो
फिर चल दिया वो उसके साथ जैसे सड़क पे चल रही हैं गाड़ियां
पों-पूं धां-धूं, टी-टों

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