दिवाली |
बतख भी उड़ती है |
सब कुछ स्टील नहीं है |
मैं देख रहा हूं कहीं गाय तो नहीं उड़ रही (जेकेके आर्ट गैलरी) |
हमारे छाते ही अलग होंगे बस हम नहीं... |
नाचूं गुलाबो बन के |
शहर में गांव का होना |
शहर में गांव का होना 2 |
शहर में गांव का होना 3 |
हुक्का अब कटवारिया, बेर सराय का राष्ट्रीय पुरातन खेल है |
चाक का शहर हो जाना |
ये अद्भुत है |
कबीरा जब मनाली गए |
कबीरा जब मनाली गए 2 |
कबीरा जब मनाली गए 3 |
कबीरा जब मनाली गए 4 |
कबीरा जब मनाली गए 5 |
कबीरा जब मनाली गए 6 |
कबीरा जब मनाली गए 7 |
कबीरा मनाली से पहुंच गए अमृतसर |
आगरा |
साब! ये रात में हमारे लिए जागता है तो दिन में हम इसके लिए, दोनों ही सहिष्णु हैं |
सड़क पर भगवान |
सोनिया माईं की हथेली खत सी गई है |
सरगासूली जब तिरंगा बन गया (जयपुर) |
मेरे गांव में कबड्डी टूर्नामेंट |
निश्छल जल... |
गांव की शाम |
गांव का मेला |
दोस्ती हो तो ऐसी, सड़क पर हुई और खत्म भी सड़क पर होगी |
ये अनुभव की लकीरें हैं.... |
साल 1948 का शादी कार्ड जो हाथ से पेंट किया है और अंदर दहेज न लेने की कसम भी है |
जयपुर की शाम |
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